Thursday, April 19, 2007
हाय हया तुमने ये क्या किया
ओफ शिट...। जह्नावी उर्फ हया, हाय तुमने ये क्या किया। काश थोड़ी तैयारी और कर ली होती। कहां हम सोच रहे थे कि हमारे चैनल वालों को दिनभर का मसाला मिल जाएगा। और तुमने कुछ घंटों में निपटा दिया। गुस्ताखी माफ दूरदर्शन(टीवी चैनलों) के मेरे दूरदर्शी दोस्तों। मगर बात का बतंगड़ बनने में शायद हया की अधकचरी तैयारी ही आड़े आ गई। शुक्रवार रात के बाद से हया की प्रेस कांफ्रेस तक जो कुछ हुआ, अतिरंजित हुआ। सात नंबर वालों ने तो गजब ही ढाया। दौड़ में थोड़े आगे जरूर रहे,लेकिन मामले को सनसनीखेज बनाने में कोई कसर न छोड़ी। पूरे मामले में अंग्रेजी के चैनलों सीएनएन आबीएन और एनडीटीवी 24 बाई 7 का नजरिया काबिलेतारीफ रहा। जब हमारे हिंदी के चैनलों पर यह ड्रामा चल रहा था, अंग्रेजी के चैनलों की नजर कुछ दूसरे मुद्दों पर थी। एनडीटीवी इंडिया वाले संभले-संभले दिखाई दिए। कमाल खान ने कहा, हया के बच्चे का नाम बताना मुनासिब न होगा। क्या खूब कहा कमाल। लेकिन दूसरे चैनलों का क्या करिएगा जनाब। आधे घंटे बाद एक चैनल ने तो बच्चे की फोटो ही दिखा डाली। और अपने नंबर सात वालों को देखिए। ज्योतिषी को बुलाकर कहने लगे, हमने तो पहले ही कहा था, ऐश्वर्या तो मंगली हैं। लफड़ा तो होना ही था।... सच ही है जनाब मास की दौड़ में क्लास पीछे छूट ही जाती है।
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7 comments:
dear rakesh,
seeing your blog i am very happy. my best wishes for you that you achieve your goal immideately.
but i think, kahin haya mamle par tumne kuch jyada to nahin khich diya.
again my best wishes.
yours
kripa
बंधु,
वाकई जाह्नवी प्रकरण के जरिए टीवी चैनलों का असली चरित्र सामने आया है. मगर आपने भी बा-खूबी एनडीटीवी की पीठ खुजलाई है. आपका चिट्ठा पढ़कर कोई भी यकीन से कह सकता है कि आप खुद उस खेमे में घुसपैठ के लिए सेंधमारी में जुटे पड़े होंगे. लगे रहिए जनाब.
अंग्रेजी दां चैनलों की बेवक्त तारीफ हजम नहीं हुई. ठीक है आप जो विचार रखते हैं, उसे जाहिर करने की हिन्दुस्तान में पूरी स्वतंत्रता है. मगर न तो आप न्यायाधीश हैं और एनडीटीवी के कर्ताधर्ता.
इस गफलत में न रहें कि जनता कुछ नहीं जानती. दावे के साथ कहा जा सकता है कि अगर अमिताभ का रुख सर्वकालिक मीडिया मित्र सा नहीं होता या उनकी जगह कोई अन्य होता तो चैनल जाह्नवी का पक्ष लेकर किस तरह बखेड़ा खड़ा करते.
न तो आप जाह्नवी के जैविक पिता हैं ओर न हया के. हो सकता है दोनों एक ही शख्सियत है. हो सकता है यह सिर्फ और सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट है, मगर आप चश्मदीद की भूमिका मत पालिये जनाब. जो मीडिया कहे हमेशा वही सही नहीं होता.
जहां तक मास ओर क्लास की बात है, प्रणय राय या कोई भी हो मास की बदौलत नहीं क्लास की बदौलत ही एसी की हवा खाते हैं. खबरफरोशी का धर्म नहीं निबाहेंगे तो कैसे चलेगी उनकी गाड़ी...
शेष फिर
s
hi rakesh..great yaar.bhaut acha comment kiya pure mamle par..i was just imagine today ...how can we describe all this issue..n wat u shown..its the best ..great keep the pace n craft up..wish u all the best...btw i m in bhubaneswar.....
आपने सारे समाचार चैनलों के बारे में लिख डाला... लगता है चैनल सर्फिंग का आनंद ले रहे थे...
thakur shab, apani biradri ko hi gariyana bhe theek nahi. par accha hai haath kholne ke liyea
sanjeev kandwal
badhai ho bhai,
abhi padne likhne ka time nahi mil pa raha, par jald hi main bi is par barabar jazri doonga.
durga
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